विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर क्या है?

दोस्तों क्या आप भी विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर क्या होता है, इसके बारे में जानने के लिए इच्छुक हैं, तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर आए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर क्या है? 

इसके बारे में बताएंगे, जिससे आप विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर को समझ पाएंगे और अपनी परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर पाएंगे, तो आपसे एक गुजारिश है, कि आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़िए।

विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर

विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर

विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली के बीच अंतर को आगे बिंदु के रूपों में समझाया गया है, आप उसे पढ़ सकते हैं।

विवरणात्मक शैली

  1. विवरणात्मक शैली के लेखन में घटना अथवा वस्तु का यथावत प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
  2. विवरणात्मक शैली में लेखक या वक्ता घटनाक्रम के तटस्थ रहता है और उसमें किसी बात कर अपना कोई मत नहीं रखता है।
  3. विवरणात्मक शैली में कर्मवाच्य के संरचनाओं की अधिकता होती है।
  4. विवरणात्मक शैली में कहे जाने वाले कथन का कोई निषेधात्मक पक्ष नहीं होता है।
  5. इसमें भूतकाल की क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है।
  6. इसमें उपयोग की जाने वाली भाषा सरल तथा प्रवाहयुक्त होती है।

व्याख्यात्मक शैली 

  1. व्याख्यात्मक शैली में किसी घटना अथवा वस्तु का वर्णन यथावत रूप में ना करके अनेक प्रकार से किया जा सकता है।
  2. व्याख्यात्मक शैली में वक्ता विषय के तटस्थ नहीं रहता, बल्कि स्वयं विषय की व्याख्या करता है। 
  3. व्याख्यात्मक शैली में कार्य-कारण से संबंध रखने वाले वाक्यों को अधिक महत्व दिया जाता है।
  4. इस शैली में विषय की स्पष्ट व्याख्या करने के लिए कथा के निषेधात्मक पक्ष को प्रकट करना भी आवश्यक होता है।
  5. व्याख्यात्मक शैली में आवश्यकता अनुसार सभी कालों को व्यक्त करने वाली क्रियाओं का उपयोग किया जा सकता है।
  6. व्याख्यात्मक शैली में लेखन की भाषा अपेक्षाकृत कम सरल होती है।

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विवरणात्मक शैली की परिभाषा क्या है?

विवरणात्मक शैली एक ऐसी शैली होती है, जिसमे किसी विषय के बारे में विस्तृत विवरण प्रयुक्त किया जाता है। यह शैली पाठको को किसी भी विषय के बारे में सम्पूर्ण विवरण प्रदान करती है, जिससे पाठको को उस विषय को समझने में आसानी होती हैं। 

इस शैली में किसी भी जानकारी को पाठको के सामने बेहतर तरीके से पेश किया जाता है, जिससे पाठकों को पढ़ने में कोई समस्या ना हो, तथा इस शैली में किसी भी विषय के महत्वपूर्ण स्थानों और घटनाओं के बारे में बताया जाता है।

इस शैली के निबंध में लेखक अपने खुद के विचारों को व्यक्त नहीं करता है, वह जिस तरह की चीजें देखता और सुनता है, उसी के आधार पर वह चीजों को लोगों के सामने प्रस्तुत करता है।

विवरणात्मक शैली दो प्रकार की होती है।

  1. प्रत्यक्ष 
  2. अप्रत्यक्ष 

प्रत्यक्ष: 

इसमें वक्ता पाठक के सामने होता है और घटना का विवरण उदाहरण चिन्ह “………..” के माध्यम से व्यक्त करता है।

उदाहरण – तिलक ने कहा – ” स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे।”

अप्रत्यक्ष:

इसमें वक्ता पाठक के सामने नहीं होता है, तथा इसमें घटना के बारे में बताया जाता है तथा उदाहरण चिन्ह के स्थान पर संयोजको को जोड़कर वाक्य रचना की जाती है।

उदाहरण – राम ने कहा, कि मैं आज मैच खेलने नहीं जाऊंगा।

विवरणात्मक शैली की विशेषताएं

  • विवरणात्मक शैली के निबंधों में अलंकार की संरचना नहीं होती है।
  • इस शैली में भाषा सरल तथा स्पष्ट होती है।
  • विवरणात्मक शैली में लेखक खुद के विचारों को व्यक्त करके घटनास्थल से जुड़े हुए तथ्यों को बताता है।
  • विवरणात्मक शैली का प्रयोग व्यावहारिक उपयोग के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति या वस्तु के विवरण को समझाने के लिए।

विवरणात्मक शैली के उदाहरण

विज्ञान के क्षेत्र में

कार्बन डाइऑक्साइड गैस श्वसन की क्रिया में हम ऑक्सीजन गैस ग्रहण करके कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, इसके विपरीत पौधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। पेड़ पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस आवश्यक होता है।

वाणिज्य के क्षेत्र में 

वस्तु का मूल्य निर्धारण करने के लिए मांग और पूर्ति दोनों का होना आवश्यक है, केवल मांग या केवल पूर्ति ही वस्तु का मूल्य निर्धारण नहीं कर सकती हैं, वस्तु का मूल्य उसी स्थान पर निर्धारित होता है, जहां पर मांग और पूर्ति दोनों का आपस में समान संतुलन हो।

कला के क्षेत्र में 

माटी बिहार पूजन विधि आदिवासियों की एक पारंपरिक शैली है। इसमें सबसे पहले गांव के सरपंच या मुखिया के द्वारा माटी पूजा के घर जाकर माटी बिहार बनाने हेतु निवेदन किया जाता है, उसके बाद माटी पुजारी एक शुभ मुहूर्त निर्धारित करते हैं, जिसमें उस पूजा को पूरे विधि विधान के साथ संपन्न किया जाता है। 

उस समय तय की गई तिथि को सूर्योदय से पूर्व उठकर नहा धोकर माटी पुजारी गुडी़ पहुंच जाते है। वहां लोग देवी देवताओं की पूजा करते हैं। पुजारी उस दिन निर्जल उपवास रखते हैं और उसके बाद अपनी परंपरागत पूजा को करते हैं।

व्याख्यात्मक शैली की परिभाषा क्या है?

व्याख्यात्मक शैली एक ऐसी शैली होती है, जिसमें किसी विषय के बारे में व्याख्या की जाती है। इस शैली में किसी विषय के साथ जुड़े हुए विभिन्न मतों एवं तथ्यों के बारे में बताया जाता है। 

इस शैली में लेखक अपने खुद के विचारों को प्रकट करता है, जिससे लोगों को समझने में आसानी होती है। इस तरह के शैली में लेखक अपनी बात को समझाने के लिए विभिन्न उदाहरण का प्रयोग करता है।

व्याख्यात्मक शैली का अर्थ

व्याख्यात्मक शैली का तात्पर्य होता है, किसी कठिन या जटिल वस्तु को लोगों को सरल शब्दों में समझाकर उनके सामने प्रस्तुत करना। इस तरह के निबंध में लेखक खुद व्याख्या करता है, तथा इस शैली का उपयोग किसी उक्ति को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। 

उदाहरण के लिए, “कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है।

इस पंक्ति में लेखक कर्मण्य व्यक्ति कौन होता है, इसके बारे में बताता है, तथा उसकी परिभाषा भी देता है, कि जो व्यक्ति कर्म करते समय आनंद अनुभव करने लगे, उसे कर्मण्य कहते हैं।

इसी तरह की बातों को समझाने के लिए व्याख्यात्मक शैली का प्रयोग किया जाता है।

व्याख्यात्मक शैली की विशेषताएं

  • व्याख्यात्मक शैली में किसी भी विषय के बारे में स्पष्ट रूप से लिखा जाता है।
  • व्याख्यात्मक शैली में लेखक किसी विषय को विस्तार से लिखता है तथा उसे सरल शब्दों में लोगों के सामने प्रस्तुत करता है।
  • व्याख्यात्मक शैली में लेखक उदाहरण के माध्यम से लोगों को समझाने का प्रयत्न करता है।
  • व्याख्यात्मक शैली में लेखक तर्क के द्वारा उस विषय को अपने पाठकों को समझाता है।
  • व्याख्यात्मक शैली में अधूरे अथवा (जिसका कोई अर्थ ना हो) ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

व्याख्यात्मक शैली का उदाहरण

बॉलीवुड फिल्म: 

भारत में बॉलीवुड फिल्मों का एक बहुत बड़ा प्रभाव है। इन फिल्मों की शायरी और संगीत बहुत ही अनोखी होती है। बॉलीवुड फिल्मों में समाज के विभिन्न पहलुओं का प्रतिबिंब दिखाई देता है, जो भारत की संस्कृति को भी दिखाती है। भारत के लोग बॉलीवुड फिल्मों को बहुत अधिक पसंद करते हैं और बॉलीवुड फिल्म में काम करने वाले अभिनेता भी लोगों के दिलों को जीतने के लिए पूरे जी-जान के साथ मेहनत करते हैं और एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश करते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

वैज्ञानिक उन समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं, जो हमारे समाज को प्रभावित करते हैं। इन समस्याओं में जैविक असंतुलन, जलविकार, जनसंख्या वृद्धि और वातावरण वृद्धि शामिल है। बहुत सारी समस्याओं का हल ढूंढने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कंप्यूटर मॉडलिंग, प्रयोगशालाओं में प्रयोग आदि।

निष्कर्ष – विवरणात्मक शैली और व्याख्यात्मक शैली में अंतर

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बताया है कि व्याख्यात्मक शैली और विवरणात्मक शैली में अंतर क्या होता है, तथा इस शैली के अंतर्गत किस तरह के निबंध को लिखा जा सकता है।

दोस्तों बहुत सारे छात्र जो बोर्ड परीक्षा की तैयारी करते हैं, या प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेते हैं, उनकी परीक्षाओं में निबंध भी पूछा जाता है, लेकिन बहुत सारे छात्र निबंध के अंतर को समझ नहीं पाते हैं और अपनी परीक्षा में गलत निबंध लिख देते हैं, जिससे उन्हें अपनी परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिलते हैं।

हालांकि इन दोनों शैली के निबंध को लिखने के लिए हमने आपको कई उदाहरण दिए हैं, जिससे आप अच्छे ढंग से इस शैली में पूछे गए निबंध को अपनी परीक्षा में लिख सकते हैं और दूसरों की अपेक्षा बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं।

आशा करते हैं, आपको यह आर्टिकल पढ़कर व्याख्यात्मक शैली और भावनात्मक शैली में अंतर क्या होता है, इसके बारे में पूरी जानकारी मिली होगी।

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